Wednesday, January 14, 2009

ये है बनारस के रंग



मैं महिमा सिंह बनारस की रहने वाली हूँ। जो भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जानी जाती है । बनारस उत्तरप्रदेश का एक मशहूर शहर है जिसको वाराणसी ,काशी, मोझह्नागरी के नाम से भी जाना जाता है ऐसा माना जाता है की वाराणसी वरुणा नदी और पतितपावनी गंगा के अस्सी घाटों के बीच बसी भगवान शंकर की नगरी है .इसके अलावा बनारस मंदिरों के शहर औरगलियों के शहर के रूप में भी जाना जाता है.बनारस इन सब के अलावा बनारसी पान,रेल कारखाना ,बनारसी साडी ,भदोही के कालीन जैसे अनेक मशहूर चीजो के लिए जानी जाती है .बनारस के लोग अपने भोलेपन ,सादेपन के साथ ही अपनी चालबाजी और ठगी के लिए भी जाने जाते हैं .मैंने ये दोनों गुन इसलिए दिए क्योकि मुझे लगा की जैसे हर चीज के दो पहलू होते हैं वैसे ही बनारसी लोगो के दोनों रूप जानना जरुरी है.ताकि कोई गलती ना हो .ये तो बात हुई मेरे शहर की .बनारस शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे है काशी हिंदू विश्वविद्यालय ,काशी विद्यापीठ ,संस्कृत विश्वविद्यालय ,हरिश्चंद्र महाविद्यालय के अलावा अनेक महिला महाविद्यालय के साथ कई ,सी बी एस ई तथा यू पी बोर्ड के स्कूल भी हैं .एक खास जगह जो मैं भूल गई ,वो है सारनाथ जहा भागवान बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था .और अस्सी का एक क्षेत्र मनु बाई यानि रानी लक्ष्मी बाई के जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है . इसके साथ ही कई मनोरंजक प्राकृतिक स्थलभीहै.जैसे लखनिया दरी ,देव दरी ,विन्डम फाल ,मिर्जा पुर का इलाका आदि.मंदिरों की नगरी काशी में हर मन्दिर का अपना महत्व है ,हर मन्दिर की अपनी कहानी है.ये निम्न हैं दुर्गाकुंड,संकटमोचन मन्दिर ,बाबा विश्वनाथ का मन्दिर ,लोलारक कुंड ,कालभैरो ,आसभैरो ,शीतलामाता ,महा काली मन्दिर ,मानस मन्दिर ,संकटामाता ,गौरी माता ,राधाकृषण मन्दिर ,बड़ा गणेश मन्दिर ,पुष्कर मन्दिर आदि अनेक है .साथ ही बनारस के काशी नरेश का रामनगर का किला ,चुनारका किला ,नौगढ़ का किला आदि ,अनेक ऐतिहासिक स्थल भी हैं जो इसकी शोभा बढाते हैं .बनारस पारम्परिकता और आधुनिकता का संगम स्थल भी है .यहाँ एक तरफ़ मेट्रो शहरों की तरह मॉल संस्कृति ,मोटर गाडिया ,मेक्दोनाल्स फास्ट फ़ूड ,बार ,रेस्टुरेंट ,होटल्स ,बनारसी लोग काम के चक्कर में सडको पर भागते नजर आते है वही दूसरी तरफ़ गुदोलिया बाज़ार में छोटी -बड़ी दुकाने ,पान की गुमटी,चाय,पकोड़ी जलेबी की दुकाने ,सड़क पर चलते घोड़ा-गाड़ी ,ढाबा और इन जगहों पर बनारसी लोगो का जुटकरदेशकी राजनीती ,क्रिकेट ,आर्थिक स्थिति पर बहस करना ,साथ ही अपने रोजगार के लिए कोई मुर्गा पकड़ना ,जैसे जो लोग बेरोजगार होते है वे बनारस आने वाले पर्यटकों को बनारस घुमाते है ,और अपना खर्चा निकालते है .यह एक छोटा सा परिचय बनारस का इस बनारसी की जुबानी ,ये परिचय का अंत नही शुरुआत है` मैं अकेली नही इस राह पर और भी है शक्स शामिल इस कांरवा में .बनारस के और भी रंग है पर इसके लिए इंतजार और सही .

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