कि मीडिया में आने वाली ९५ प्रतिशत लड़किया प्रेम विवाह या अपनी मर्जी से विवाह करना चाहती हैं । जबकि केवल ३५ प्रतिशत लड़के इसके पछ में थे.साथ ही लड़किया पिता की सम्पति में हक नही चाहती थी पर लड़के उन्हें ये अधिकार देने को तैयार थे.लड़कियों ने माना की प्रकृति ने उन्हें शारीरिक रूप से कमजोर बनाया है वो अपनी रक्छा लड़को की तरह नही कर सकती .वही लड़को ने माना कि लड़किया अपनी रक्झा स्वयं कर सकती है ।
हम लोगों को २ मार्च तक सारा मटेरियल सर को दिखाना था .उस दिन तक सभी ने अपना काम लगभग कर लिया था .२ मार्च की मीटिंग में सर ने मटेरियल देखने के बाद पेपर के लेआउट को समझाया .साथ ही एक गुरु मंत्र दिया कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना जरुरी है .हम लोगो ने सर की बात को गाढ़ बांधा .ऐसा नही था कि हम मेहनत नही कर रहे थे पर उस वक्त हम लोग अकेले -अकेले अपना काम कर रहे थे .टीम की तरह काम करना और उसका क्या मजा होता है ये तो हम लोगो को उन तीन दिनों में पता चला जब हम १० लोग हॉस्टल में पेपर का लेआउट डिजाईन , एडिटिंग और प्रूफ़ रीडिंग करके पेपर तैयार करने में तीन रात सोये ही नही .८ बजे खाना खाने के बाद सब किसी एक के कमरे में अपने -अपने लैपटॉप के साथ इकठा होते और फ़िर काम पर लग जाते .एक कमरे में १० लोग, ६ लैपटॉप ,एक बेद वाले रूम में तीन गद्दे या चटाई बिछा कर दस लोग एक -दुसरे की कापिया पढ्ते औरो को सुनाते फ़िर लोट -लोट कर हस्ते फ़िर उसे सही करते .दिन में क्लास और रात में पेपर का काम .हमारी तीन रात और दिन की मेहनत में हम लोगो को बहुत कुछ शिकने को मिला तो साथ ही हम दस एक दुसरे को जानने लगे अभी तक हमारी जान - पहचान थी अब हम दोस्त है इसके अलावा जो सबसे अहम् बात सामने आई वो थी की हमलोगों में केवल सुरभि को लेआउट आता था .औरो को नही.इस कमी से हम लोगो को पेपर तैयार करने में बड़ी मुस्किल हुई .क्योकि ६ लैपटॉप के साथ ६ पेन ड्राइव थे .जो वायरस से फुल थे .जिसके कारन ६ की रात हमारा ८ पेज बनने के बाद भी ३ पेज तीन बार गायब हुआ . सुबह १० बजे तक पेपर तैयार करके देने की हमारी डेड लाइन थी .८ बजे तक हमारा पेपर तैयार था लेकिन अचानक फ़िर तीन पेज गायब हो गया .ये हमारे सब्र की इंतहा थी फ़िर से हमने तीन पेज की स्टोरी एडिट की सुरभि ने फ़िर उसका लेआउट बनाया .अंततः ११.३० बजे हमने सर से ऍप्लिकेशन साइन कराया और पेपर की सॉफ्ट कापी प्रेस में दे दी, जो हमें शाम तक मिली .पेपर के पुरा होने की खुशी थी साथ ही ७ मार्च को पेपर के विमोचन की खुशी उसे और बढ़ा रही थी .आपको ये जानकर अजीब लगेगा की ६ मार्च को सुरभि का जन्म दिन था हम लोगो ने सुरभि को बिना बताये उसका बर्थ डे मानाने का प्लान बनाया .फ़िर हमने चोरी से केक ,कोल्ड ड्रिंक ,चिप्स वगर मगाया .रात के १२ बजे हमने उसे विस किया . थोडी मस्ती की फोटो खिचवाया फ़िर सब लोग अपने काम पर लग गए .अजीब तब लगता था जब सुरभि का फोन आता था ,उसे बर्थ डे विश करने के लिए तो हमें नही चाहते हुए भी उसे ये कहना पड़ता था ,की सुरभि कल बात कर लेना आज कह दो तुम काम कर रही हो .लेकिन सुरभि ने हमारी बात का बुरा नही माना .वो कम मैं लगी रही .५ और ६ तारीख को हम में से कोई क्लास नही गया .सुबह से हॉस्टल मैं ही पेपर की एडिटिंग और लेआउट ,प्रूफ़ रीडिंग में लगे रहे .ये तीन दिन हम सभी के जीवन के होस्टल लाइफ के सबसे अच्छे पल थे .क्योकि इससे पहले हम लोगे परिचित थे लेकिन अब हम सब अच्छे दोस्त है.एक साथ काम कर के हमे बहुत अच्छा लगा .इस पेपर 'तेवर ' ने हमे पत्रकार बना दिया .इससे जुड़े कई अच्छे अनुभव है जो हम लोगो को ता उम्र याद रहेंगे .
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