पॉड़कास्टिंग से मैं क्या समझती हूँ।
पॉड़कास्टिंग मेरे लिए नया शब्द नहीं है। इसके बारे में मैं तब से जानती हूँ, जब मैंने भारतीय जन संचार संस्थान में पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए एड्मिशन लिया था। वहा हिन्दी जर्नलिज़्म के साथ ही र redio aur tv के क्षेत्र में काम करने की बेसिक जानकारी भी प्रदान की जाती थी। तभी से मैं पॉड़कास्टिंग और कम्यूनिटी रेडियो और रेडियो ब्राडकास्टिंग और एफ़एम रेडियो के बारे में जानती हूँ। पॉड़कास्टिंग के बारे में बहुत समय से पढ़ रही और सुन भी रही। यह नया माध्यम है। अभिवयक्ति का। हम मानुष खुद को बताने और जताने उर अपने अनुभव साझा करने के लिए भाषा और शारीरिक भावभंगिमा का सहारा लेते हैं। जिसे आज कल समानय समझ जाता है। पूरी धरती पर मानव जाती ही है जो अपनी कहा कह सकती है लिख सकती है। हमारे वेद और पुराण पहले श्रुति आधारित थे। सब जानते हैं। यानि गुरु शिष्य को सभी श्लोक सुनता थे और शिष्य उसे याद करते थे। सो पॉड़कास्टिंग हमारी परंपरा का हिस्सा है। बस आज 21वी सदी में इसका नाम बादल गया है। ये विदेशी भाषा में है इसलिए ये नया है। मुझे याद है मेरे बचपन में मेरे गाँव में आलह और उदल की कहानी सुनने वाला आता था। वो संगीतबद्ध लय में वीरगाथा सुनता था और हम सब सुन कर वीर रस से भर जाते थे। बचपन था इसलिए कल्पना और भाव आती पर था। तो मेरे लिए पॉड़कास्टिंग शब्द नया है। इसको अपलोड करना और डौन्लोड करना नया है। इनेटर्नेट पर इसको कभी भी सुन लेना नया है । हाँ ये नया है, नॉन मीडिया पर्सन के लिए और भारत की जनता के लिए वैसे ही जैसे योगा और ध्यान।
पॉड़कास्टिंग क्या है? पॉड़कास्टिंग एक ओडिओ कंटैंट फ़ाइल जैसा है, जैसे रेडियो प्रसारण होता है। जिसे कम्प्युटर और एमपी3 प्लेयर और स्मार्ट फोन में इंटरनेट की मदद से डाउनलोड कर। एक फ़ाइल के रुप में सेव कर सकते है। और इस फ़ाइल को कभी भी पुनः नेट की मदद से डाउनलोड कर सुना जा सकता है। आप इसे साउंड कंटैंट भी कह सकते हैं। जैसे फोटो एक कंटैंट होता है। वैसे ही किसी भी विषय पर बातचित को या किसी के इंटरव्यू को जब कोई केवल आवाज के रूप में किसी डिवाइस में रिकॉर्डर करके सेव किया जाता है। और फिर उसको पब्लिक के लिए या चुने हुए दर्शक के लिए ओडियो फ़ाइल के रूप में नेट की हेल्प से किसी पॉड़कास्टिंग प्लाट फोरम पर या रेडियो के द्वारे या यू ट्यूब पर ब्रोडकास्ट करते हैं। ओडिओ कंटैंट को पॉडकास्ट कहते हैं। और इस प्रक्रिया को पॉड़कास्टिंग कहते हैं। हिन्दी में इसे अगडनीय संज्ञा कह सकते हैं। पॉड़कास्टिंग सुनने लायक और सीखने लायक स्टोरी और सब्जेक्ट मेटेरियल होता है। जैसे म्यूजिक का ओडियो रूप। यह दो लोगों की बातचित के रूप में या किसी दृश्य या कहानी के वर्णन या प्रस्तुति जैसा भी हो सकता है। जैसे महाभारत में संजय ने धृतराष्ट के लिए कुरुक्षेत्र की घटना का सदृश्य वर्णन किया था गीता सार के साथ। यहा हम वक्ता को सुनते है और अपने दिमाग में उस घटना या कहानी या दृश्य को बुनते हैं। ऐसा मेरा मानना है।
मजे की बात है आज इसे पॉड़कास्टिंग कहते हैं। पर भारत में ये हमेश रहा बस आज की पीड़ी इससे अंछुई है। कैसे हमारे बचपन में नानी और दादी, मासी और मामा और चाचा हमे कहानी सुनते थे। बेड टाइम स्टोरी। जिसको सुन कर 90 के दशक के लोग तो बड़े हुए पर 21वी सदी का बच्चा इन कहानियों से जुड़ नहीं पाया या हम उससे जोड़ नहीं पाये। खैर पॉडकास्ट कोई भी ऐसा कंटैंट है जो ओडियो के रूप में होता है। उसे ही हम पॉडकास्ट कहते हैं। जब इस पॉडकास्ट को किसी ऐसे मंच पर प्रस्तुत करते हैं। जहा से कोई भी इससे सुन सके तो उस प्रक्रिया को पॉड़कास्टिंग कहते हैं। इससे हम अपना खुद का रेडियो स्टेशन भी कह सकते हैं।
अब बात करते हैं पॉड़कास्टिंग कैसे होती है।
सबसे पहले अपना पॉडकास्ट बनाए, टॉपिक के अनुसार। फिर इससे अपलोड करने के लिए आपको प्लैटफ़ार्म या मंच की जरूरत होगी। आपके पॉडकास्ट की कास्टिंग के लिए आपको सही मंच चुनना होगा। बहुत से पॉडकास्ट मार्केट में है। जैसे पॉड बीन और स्प्रेयकर ।
अगर आपका ब्लॉग और वैबसाइट है तो वहा भी कुछ सॉफ्टवर लाइक सिरीऔसली सिम्पल पॉडकास्टिंग की हेल्प से अपना पॉडकास्ट वेब होस्टिंग में संरक्षित कर एक नॉर्मल आर्टिकल पोस्ट की तरह पॉडकास्ट को अपने ब्लॉग में जोड़ सकते हैं। ताकि आपकी आडियन्स या दर्शक इसको सुन सके। पॉडकास्ट बनाने करने की लिए आप माइक्रोफोन और अपने स्मार्ट फोन को भी उपयोग कर सकते हैं। आजकल स्मार्ट फोन में ही कैमरा, टीवी और रेडिया है। इसलिए स्मार्ट फोन पॉडकोस्टिंग के लिए सही है।
बहुत शोध के बाद पता चला है कि पॉड़कास्टिंग व्यापार के प्रचार का नया तरीका भी बन रहा है। यह अमेरिका और यूरोप में बहुत ज्यादा प्रचलित और उपयोगी है। वहा पॉड़कास्टिंग फैसन में है। वहा पर यानि विदेश में लोग पॉड़कास्टिंग में बहुत रुचि लेते हैं और वहा बहुत ज्यादा प्रतियोगिता भी है, पॉड़कास्टिंग के एरिया में। पर भारत में ये अभी नया है। या यू कहे लोग अभी इसके बारे में कम जानते हैं। पर जल्द ही ये फैशन बन जाएगा। पर अभी भी इसमे बहुत स्कोप है। पॉड़कास्टिंग से बिज़नस बूम के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। आपका ब्लॉग है उस पर पॉडकास्ट अपलोड करो, आपके श्रोता बड़ेंगे, क्योकि अब वो आपको सुन भी पा रहे। वो आपसे और आपके विचार से ज्यादा जुड़ रहे। अपने ब्लॉग पर और पॉड़कास्टिंग कंटैंट में ही अगर आप किसी प्रॉडक्ट का प्रमोशन करते हो। तो आपको इंकम होगी। और श्रोता जुडने से आप और फ़ेमस होंगे। विश्वासनीयता अधिक बड़ेगी इससे आप और अधिक पब्लिक और मार्केट और फ़ालोवर जोड़ सकते हो।
मेरी ही तरह बहुत से लोग लिखना और बोलन बहुत पसंद करते हैं। उन सब के लिए पॉड़कास्टिंग बिलकुल नया और मैजिकल है। इससे आप अपनी बात लोगों तक पहुचा सकते हैं। और बहुत से लोगों को इन्सपाइर कर सकते हैं। टिकटोक जैसे ही आप अपनी बहुत मजबूत फ़ैन फॉलोइंग बना सकते हो। फिर मार्केट और प्रॉडक्ट आपके हाथ में। खैर यह हुई बिज़नस की बात। यह सही विचार को लोगों तक पहुचने का सही तरीका है। क्योकि अब इंटरनेट और मोबाइल सबके पास है, तो दुनिया को अपनी आवाज और विचार के जादू से प्रभावित करना उतना मुश्किल नहीं। तो पॉड़कास्टिंग से कर लो दुनिया मुट्ठी में। वैसे भी नेट का जादू अभी तो जनता पर छाया हुआ है। नए पाकेट में पुराना माल बेचना हमारी आदत है। अरे गाना नहीं सुना क्या {नए पाकेट में तुमको बेंचे चीज़ पूरी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी}।
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